Sunday, March 4, 2012

युवा-शुरुआत एक बड़े बदलाव की

"आँखों में वैभव के सपने , पग में तुफानो की गति हो ,
राष्ट्र भक्ति का ज्वार न रुकता, आये जिस जिस की हिम्मत हो "

की हुंकार के साथ आसमान को मुट्ठी में भर लेने की चाह के साथ आज भारत की युवावस्था अंगड़ाई ले रही है. भारत विश्व में सर्वाधिक युवा जनसँख्या वाला देश है. यही युवा पीढ़ी भारत के उज्जवल भविष्य को आकार देने में सक्रिय और सशक्त भूमिका निभाएगी
 . निश्चय ही भारत की युवाशक्ति विश्व में अपने ज्ञान विज्ञान , उद्यमशीलता , प्रगति और पराक्रम के मानदंड स्थापित करते हुए भारत की कीर्ति ध्वजा फहराएगी . लेकिन आज के बाजारीकरण के युग में" खाओ, पियो, मौज करो " की जीवन शैली आधुनिकता तथा चमक दमक के आड़ में युवाओं को एक सीमित दायरे में कैद कर रही है.युवा मन को विकृत तथा नकारात्मक बना रही है. भीषण प्रतिस्पर्धा युवाओं के मन शरीर को तनावग्रस्त कर रही है. सत्ता की लालसा में राजनीतिक उद्देश्यों के लिए युवा पीढ़ी का दुरूपयोग किया जा रहा है. अगर इन चुनौतियों से पार नहीं पाया गया तो यही युवा उर्जा भारत की कमजोरी भी बन सकती है. 
अत: भारत की सबसे बड़ी ताकत को उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बनने से रोकने के लिए युवा चेतना को जाग्रत रखना होगा. और उसे राष्ट्रीय चेतना का रूप देना होगा. उसे एक कुशल मानव संसाधन के रूप में विकसित करके एक स्वाभिमानी, सुखी, समृद्ध और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनाना होगा. और ऐसा करने के लिए हमें हर युवा को पढाई के साथ साथ मूल्यवान संस्कृति और प्राचीन धरोहर की शिक्षा देनी होगी. तभी वेतन और कैरियर के साथ उसे देश के स्वाभिमान की याद बनी रहेगी. अगर दोबारा भारत को महान बनाना है , खूब आर्थिक संमृद्धि लानी है. तो भारत के युवाओं को जागृत करना होगा, आज के युवाओं के लिए यही चुनौती है की विकास और समृद्धि का सही रास्ता पहचानना, अपनाना और सफलता को पाना . भारत तभी विकसित होगा जब यहाँ के युवा अपनी समस्याओं से खुद लड़ना सीखेंगे ,युवाओं को बौद्धिक, रचनात्मक तथा आंदोलनात्मक तरीके से आगे बढ़ना होगा ,

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